सौतेला बाप ( आख़िरी भाग )
अध्याय सभी आदमियों में हलचल सी मच गई कि उनके पाहूँन को क्या दिक्कत हुई।
" का दिक्कत है बाबू?" काका बुझे स्वर से बोले।
" काका आप सब अपने घर के सभी बच्चो को कल से स्कूल भेजेंगे...मैं जब से इस गांव के पास वाले स्कूल में आया कोई बच्चा पढ़ने नही आता। सब गांव के तालाब के पास खेलते रहते है!"
" इतनी सी बात...हम लोग भी सोचे का हुआ। बच्चो को हम लोग भेजेंगे मास्टर बाबू...आप पढ़ा कर अपने जईसा बनाना ऊ लोगन को!"
सभी मास्टर बाबू के बातों को मान लेते है और अपने अपने घर के लिए निकल पड़ते है। गांव की औरते भी फुलवा को समझा बुझा कर घर से निकल पड़ी। मास्टर बाबू घर के अंदर जा रहे होते है कि दरवाजे से बाहर तेजी से आता मधुआ उनसे टकराया।
" संभाल कर मधुआ!"
मधुआ जल्दबाजी में बोला " मैं अपने पलटन के साथ एक जरूरी काम निपटा कर आया सौतेले बापू। तब तक तुम माई को झुमके पहना देना। वो खुद से ना पहन पाती!"
इतना कहकर मधुआ अपने पलटन के साथ निकल पड़ा।
मास्टर बाबू अन्दर आए और अभी तक जो आंगन और घर खचाखच भरा था , अब खाली था एकदम सन्नाटा। वो कोठर में गए तो फुलवा अपने बालों को किनारे कर कानों में झुमका पहनने की कोशिश कर रही थी। मास्टर बाबू उसके पास आकर झुमके को हाथ में पकड़ लिए। फुलवा घबरा कर हाथ नीचे कर ली।
" मास्टर बाबू आप...?"
" हम पहना देते है!"
" नाही बाबू हम पहिन लेंगे!"
मास्टर बाबू फुलवा को झुमके पहनाने लगते है।
" मधुआ बोल कर गया है कि उसकी माई झुमके नही पहन पाती...तो उसका सौतेला बापू ही पहना दे!"
फुलवा बड़बड़ाई " मधुआ को समझाना होगा मास्टर बाबू को बापू बोले न कि सौतेला बापू!"
मास्टर बाबू फुलवा की बातों को सुन कर हंसने लगे।
" अरे, मधुआ तो समाज के नियमों को बदल रहा। वो जिसे सौतेला कहता है उसी के साथ रहना चाहता है। हम बाप बेटे सौतेले बनकर ही समाज के सोच को बदल देंगे....अब ज़रा दिखाना झुमके कैसे लग रहे मधुआ की माई!"
फुलवा शरमा कर दोनो हाथ अपने चेहरे पर रख लेती है।
मधुआ अपने पलटन के साथ उसी कुएं पर जाता है जहां उसका पहला बाप कलुआ मरा था। वो कुएं से झांका और चिल्लाया " गुलु मारी!.... ई अंग्रेजी है जो नया सौतेला बापू सिखाया। तुम तो हमरी माई को दुख देते थे मगर ई वाला बापू पियारा है माई का झुमका लाया जो तुम गिरवी रख दिए थे अपने जुआ और नशा के खातिर। अब उसके साथ शहर जाऊंगा और सलीमा देखूंगा....!" और उस खिलौने वाले घोड़े को कुएं में फेंक कर दौड़ता हुआ घर की ओर बढ़ गया जहां उसका सौतेला बाप सारे प्रथाओं को तोड़ सिर्फ उसके और उसकी माई के लिए खड़ा था।
वही कुएं के पास खड़े बच्चे के झुंड में से एक लड़का बोला " ई पगला गया है सौतेले बाप की चाल नाही समझ रहा। सौतेला तो सौतेला होवत है , ई जरूर गलत है तभी हमारे गांव के नियमो को मानने से इंकार कर रहा!"
झुंड के सभी बच्चे उस लड़के को देख मुंह बनाए और बोले " तू पहले भी आकर हम लोगो को भड़काए और अब भी वही कर रहे। सौतेला बाप अच्छा है मधुआ को पियार कर रहा।तुम तो हम लोगो के पलटन के नाही फिर कौन हो?"
सभी बच्चे मधुआ को भागते देख उसके पीछे उसे पुकारते हुए भागे। वही कुएं के पास खड़ा बच्चा मुस्कुराया और बोला - " मैं...? मैं हू समाज! वही समाज जिससे हर कोई डरता है , उसके बनाएं नियम न माने तो उसे मेरे साथ रहने का हक नही। पर सौतेले की परिभाषा आज जो बदली गई....देखना जल्द ही भूल जाएंगे लोग और फिर लग जायेंगे इन्ही बुराइयों में।
!! समाप्त !!
सच ही बोला गया....देखिए न कहानी पढ़ने तक लोग बातों को समझते है फिर भूल कर पुराने ख्यालों में लग जायेंगे। जैसे इस कहानी के साथ होगा....मुझे पता था और पता है भी कि आज कल के जबरन और लस्ट वाली लव स्टोरी के भंडार के बीच ये मधुआ की कहानी कौन पढ़ेगा? शायद बचे खुचे लोग आए जिन्हे गांव या मधुआ से लगाव होगा न कि उन लव सीन वाली कहानियों से।प्रेम का मतलब बदल सा गया है समाज में......तो सोची समाज के जरिए ही एक कहानी सुनाऊं शायद प्रतिलिपि पर इक्के - दुक्के लोगो की सोच पर असर पड़े।
देखा जा सकता है जिन कहानियों में हर पार्ट पर जबरजस्ती का रिश्ता होता है भर कर कॉमेंट और मिलियन व्यू होते है.....मेरे मधुआ के किस्मत में कहा मिलियन व्यू! वो तो अपने सौतेले बाप के साथ खुश है जो उसकी माई से उसकी मर्जी पूछा.....उसे एक इंसान मान कर।
कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद!!
!! अलविदा !!
Ravigya Mishra
19-Aug-2023 01:08 PM
nice story
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RISHITA
06-Aug-2023 10:16 AM
Nice
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Gunjan Kamal
24-Nov-2022 06:24 PM
शानदार
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